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तकनीक से रोजगार पर खतरे का आकलन ज़रूरी: मोहन भागवत

नई दिल्ली|बीएमएस के 70वें स्थापना दिवस पर संघ प्रमुख का संबोधन

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने उभरती तकनीकों—विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)—के समाज और श्रम बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों का गंभीर आकलन करने की आवश्यकता जताई है।

वे दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के 70वें स्थापना दिवस के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नई तकनीकें केवल प्रगति नहीं लातीं, बल्कि ये नए सवाल भी खड़े करती हैं—जैसे, क्या ये तकनीकें बेरोज़गारी बढ़ाएंगी या घटाएंगी?

भागवत ने कहा कि तकनीक का विकास रोका नहीं जा सकता, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है कि उसका श्रमिक क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव न हो। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तकनीक को मानव हितों के अनुरूप विन्यस्त किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, “तकनीक मानव श्रम का कठोर प्रतिस्थापन न बने, बल्कि श्रमिकों के प्रति सम्मान बढ़ाए, यह हमारी सोच होनी चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि तकनीक के कारण रोजगार के अवसर घटते हैं तो यह चिंता का विषय है।

कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने बीएमएस को भारतीय जीवनशैली के अनुकूल बताते हुए इसके कार्यों की सराहना की।

इस अवसर पर भागवत ने बीएमएस की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन न केवल श्रमिकों के हक की बात करता है, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी सक्रिय भागीदारी करता है।

मुख्य बिंदु:
• तकनीकी विकास का सामाजिक व श्रम बाजार पर प्रभाव का आकलन ज़रूरी।
• AI जैसी तकनीकों के कारण रोजगार की स्थिति पर प्रश्न खड़े।
• तकनीक को मानव केंद्रित दृष्टिकोण से अपनाने की आवश्यकता।
• बीएमएस की भारतीय जीवनशैली के अनुसार कार्य करने की सराहना।


यह विचार वर्तमान समय में अत्यंत प्रासंगिक हैं जब पूरी दुनिया तकनीकी क्रांति के दौर से गुजर रही है और भारत जैसे विकासशील देश में रोजगार की स्थिरता एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। संघ प्रमुख के इन विचारों से यह स्पष्ट है कि तकनीक के साथ-साथ मानवीय मूल्यों और सामाजिक संतुलन की दिशा में भी सोचने की आवश्यकता है।

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