उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में दशकों से रह रहे 10,000 से अधिक विस्थापित बंगाली हिंदू परिवारों को कानूनी भू-स्वामित्व अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्देश दिया है। ये परिवार पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से 1960-1975 के बीच पलायन कर राज्य के जिलों—पिलीभीत, रामपुर, बिजनौर और लखीमपुर खीरी—में बसाए गए थे, लेकिन अब तक अधिकतर के पास वैध भूमि के कागजात नहीं थे।
मुख्यमंत्री योगी ने 21 जुलाई 2025 को उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि इन परिवारों को भूमि का विधिसम्मत मालिकाना हक जल्द से जल्द प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि जिन गांवों में इन परिवारों ने वर्षों से खेती कर स्थायी घर बनाए हैं, वहां व्यावहारिक समाधान निकालकर भू-अधिकार दें जाएं। कई जगह रिकॉर्ड विवाद, रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र, सरकारी अधिनियम की कानूनी जटिलता, ट्रांसिट कैंप और मूल आवंटियों की अनुपस्थिति जैसे कारणों से प्रक्रिया अटकी थी, जिसे राज्य सरकार अब प्राथमिकता से सुलझाएगी।
योगी ने प्रशासन को यह भी सलाह दी कि जहां पुराने कानून (Government Grants Act) अब प्रभावी नहीं हैं, वहां वर्तमान व्यवस्था में न्यायिक समाधान ढूंढ़े जाएं। उनका कहना है कि यह केवल पुनर्वास की प्रक्रिया नहीं, बल्कि इन परिवारों का सम्मान, सामाजिक न्याय, और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ये परिवार 60 वर्षों से अधिक समय से यहाँ रह रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक जटिलताओं व रिकॉर्ड की गलतियों के कारण इन्हें कानूनी स्वामित्व नहीं मिला था। अब मुख्यमंत्री का प्रयास है कि स्वतंत्रता के बाद उपेक्षित रहे इन हजारों परिवारों को न सिर्फ भूमि का अधिकार, बल्कि गरिमापूर्ण जीवन के नए द्वार मिलें।
यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में “शरणागत की रक्षा” और “मानवता के समग्र संकल्प” की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें सरंक्षण और नागरिक अधिकारों को समान रूप से महत्व दिया जाएगा।
पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से विस्थापित होकर राज्य के विभिन्न जिलों में बसाए गए परिवारों को विधिसम्मत भू-स्वामित्व का अधिकार पूरी संवेदनशीलता के साथ देने हेतु @UPGovt पूर्णतः प्रतिबद्ध है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 21, 2025
इस दिशा में दशकों से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हजारों परिवारों को…