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भारत ने अमेरिका को दिखाई अपनी ताकत: व्यापार वार्ता से टीम वापस, राष्ट्रीय हित सर्वोपरि

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भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता में अचानक नया मोड़ आ गया है। भारत सरकार ने अपनी वार्ता टीम को वॉशिंगटन से वापस बुला लिया है और स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते से पहले देश के राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच कृषि, ऑटोमोबाइल, डेयरी और श्रम-गहन क्षेत्रों में कई मुद्दों पर गहरे मतभेद सामने आए हैं।

भारत ने अमेरिकी दबाव में आकर अपने कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर को विदेशी कंपनियों के लिए खोलने से इनकार कर दिया है। भारत का तर्क है कि इन क्षेत्रों में किसी भी तरह की छूट से देश के करोड़ों किसानों, छोटे उद्यमियों और श्रमिकों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, अमेरिका चाहता था कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी कृषि उत्पादों, डेयरी और जीएम फसलों के लिए खोले, लेकिन भारत ने इन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया। इसके विपरीत, भारत ने अमेरिका से अपने वस्त्र, रत्न-आभूषण, चमड़ा और रसायन जैसे क्षेत्रों में बेहतर बाजार पहुंच और टैरिफ छूट की मांग रखी है।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने दो टूक कहा कि भारत किसी भी समझौते पर तभी हस्ताक्षर करेगा जब वह देश के हितों और विकास की प्राथमिकताओं के अनुरूप होगा। भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह किसी भी समय सीमा के दबाव में समझौता नहीं करेगा और वार्ता तभी आगे बढ़ेगी जब दोनों पक्ष संतुलित समाधान की ओर बढ़ेंगे। भारत ने विश्व व्यापार संगठन के तहत अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के खिलाफ जवाबी कदम उठाने का अधिकार भी सुरक्षित रखा है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि बातचीत के रास्ते हमेशा खुले रहेंगे।

यह घटनाक्रम भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक है, जहां सरकार ने स्पष्ट संदेश दिया है कि राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं होगा, चाहे सामने अमेरिका जैसी महाशक्ति ही क्यों न हो। भारत का यह रुख न सिर्फ घरेलू राजनीति में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उसकी साख को मजबूत करता है।

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