ट्रंप प्रशासन की सख्त आव्रजन नीति की घोषणा
संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि जिन प्रवासियों ने निर्वासन आदेश (Deportation Order) मिलने के बावजूद देश नहीं छोड़ा है, उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। यह नीति प्रवासियों को “स्वैच्छिक रूप से देश छोड़ने” के लिए मजबूर करने के प्रयास का हिस्सा है।
नीति के मुख्य बिंदु
🔸 जुर्माना और पिछली अवधि पर लागू:
- प्रवासियों पर प्रतिदिन $998 तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
- यह जुर्माना पिछले 5 वर्षों तक लागू हो सकता है, जिससे कुल जुर्माना $1 मिलियन (₹8.3 करोड़ से अधिक) तक पहुंच सकता है।
- यह प्रावधान 1996 के एक आव्रजन कानून पर आधारित है, जिसे पहली बार 2018 में लागू किया गया था।
🔸 संपत्ति की जब्ती:
- जो प्रवासी जुर्माना नहीं भरेंगे, उनकी संपत्ति को जब्त किया जा सकता है।
- इसके लिए सरकार सिविल एसेट फॉरफीचर (Civil Asset Forfeiture) का इस्तेमाल करेगी।
- जब्त की गई संपत्ति को नीलामी में बेचा जा सकता है।
🔸 लक्षित जनसंख्या:
- यह नीति उन 1.4 मिलियन प्रवासियों को लक्षित करती है जिन्हें इमिग्रेशन जज द्वारा अंतिम निर्वासन आदेश दिया जा चुका है।
🔸 क्रियान्वयन और निगरानी:
- डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने प्रवासियों से CBP Home ऐप (पूर्व में CBP One) का उपयोग कर स्वयं निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने की अपील की है।
- Customs and Border Protection (CBP) को जुर्माने की गणना, संपत्ति की जब्ती और बिक्री की जिम्मेदारी दी गई है।
🔸 प्रशासनिक कारण और आलोचना:
- ट्रंप प्रशासन के अनुसार, यह कदम सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और अवैध प्रवासन को हतोत्साहित करने के लिए उठाया गया है।
- आलोचकों का तर्क है कि यह नीति अत्यधिक दंडात्मक है और इसकी पिछली तारीख से लागू करने की प्रवृत्ति पर कानूनी चुनौतियां आ सकती हैं।
- साथ ही यह प्रवासियों के मानवाधिकारों पर भी प्रभाव डाल सकती है।