म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के कारण 1,644 लोगों की मौत हो चुकी है, 3,408 घायल हैं और सैकड़ों लापता हैं। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने चेतावनी दी है कि मृतकों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है। इमारतें मलबे में बदल गईं, पुल टूट गए और मस्जिदें और मठ तबाह हो गए। इस भयानक आपदा के बीच, भारत ने ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू करके सबसे पहले मदद का हाथ बढ़ाया।
भारत ने 80 सदस्यों वाली एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) टीम को म्यांमार भेजा, जो शहरी खोज और बचाव कार्यों में माहिर है। 29 मार्च, 2025 को भारतीय वायुसेना का C-130J विमान हिंडन एयर फोर्स स्टेशन से राहत सामग्री लेकर नेपीडा पहुंचा। इस विमान में कंबल, तिरपाल, स्वच्छता किट, स्लीपिंग बैग, सोलर लैंप, खाद्य पैकेट और रसोई सेट जैसी जरूरी चीजें शामिल थीं। नेपीडा में भारतीय राजदूत अभय ठाकुर और म्यांमार के विदेश मंत्रालय के अधिकारी मॉन्ग मॉन्ग लिन ने टीम का स्वागत किया। इसके बाद एनडीआरएफ टीम रविवार सुबह मांडले पहुंची, जहां वह बचाव कार्य में जुट गई।
MEA के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट किया, “ऑपरेशन ब्रह्मा जारी है। 118 सदस्यों वाली भारतीय सेना फील्ड अस्पताल इकाई, जिसमें महिला एवं बाल देखभाल सेवाएं और 60 टन राहत सामग्री शामिल है, के साथ दो C-17 विमान म्यांमार में उतरे हैं। इसके साथ, भारत से पांच राहत उड़ानें…”
एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसिन शाहेदी ने कहा कि अगले 24-48 घंटे महत्वपूर्ण हैं। भारत ने राहत कार्य को दो चरणों में बांटा है। कई C-130 विमान म्यांमार पहुंच चुके हैं। पहली टीम में एनडीआरएफ के जवान गए, जबकि दूसरी टीम में फील्ड हॉस्पिटल, आर्मी रेस्क्यू टीम और मेडिकल हेल्प के साथ राहत सामग्री भेजी गई है। इसके अतिरिक्त, कोलकाता में एक रिजर्व टीम तैयार रखी गई है, जिसे जरूरत पड़ने पर तुरंत रवाना किया जा सकता है। भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने कहा कि भूकंप की ताकत 334 परमाणु बमों के बराबर थी और आफ्टरशॉक महीनों तक आ सकते हैं। म्यांमार में चल रहा गृहयुद्ध और संचार बाधाएं राहत कार्यों को मुश्किल बना रही हैं।
इस बीच, म्यांमार की शैडो सरकार एनयूजी ने राहत पहुंचाने के लिए दो सप्ताह का युद्धविराम घोषित किया है। चीन ने 37 सदस्यों वाली टीम और रूस ने 120 बचाव कर्मियों के साथ आपातकालीन सामग्री भेजी है। म्यांमार की सैन्य सरकार ने नेपीडा और मांडले सहित छह क्षेत्रों में आपातकाल की घोषणा की है, हालांकि उसकी अपनी क्षमता सीमित है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैन्य प्रमुख जनरल मिन आंग ह्लाइंग के साथ फोन पर बातचीत की और म्यांमार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।