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प्रतिनिधि सभा का मणिपुर पर वक्तव्य: समाज को जोड़ने का प्रयास

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत वक्तव्य पर आधारित – मणिपुर की परिस्थिति: चिंतन और समाधान की दिशा

मणिपुर में चल रही सामाजिक अशांति: एक गंभीर परिस्थिति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत वक्तव्य के अनुसार, मणिपुर राज्य पिछले 20 महीनों से सामाजिक अशांति का केंद्र बना हुआ है। दो समुदायों के बीच हुई व्यापक हिंसक घटनाओं ने परस्पर अविश्वास और वैमनस्य को जन्म दिया है।
इस परिस्थिति का दुष्प्रभाव राज्य के सामान्य जनजीवन पर पड़ा है, जहाँ लोगों को प्रतिदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति में भी कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्र सरकार की पहलकदमियों से सुधार की संभावनाएँ

प्रतिनिधि सभा में यह उल्लेख किया गया कि हाल के दिनों में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर केंद्र सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों ने परिस्थिति में सुधार की संभावनाएँ उत्पन्न की हैं।
हालाँकि, वक्तव्य में यह भी स्वीकार किया गया कि सौहार्दपूर्ण वातावरण बनने में समय लगेगा, क्योंकि परस्पर विश्वास की पुनः स्थापना एक सतत प्रक्रिया है।

संघ एवं सामाजिक संगठनों की भूमिका: सेवा और संवाद का समन्वय

प्रतिनिधि सभा के वक्तव्य में यह रेखांकित किया गया कि संघ तथा संघ प्रेरित सामाजिक संगठनों ने इस संकटकाल में प्रभावित नागरिकों की सहायता हेतु सेवा कार्य किए।
साथ ही, उन्होंने विभिन्न समुदायों से सतत संपर्क बनाए रखते हुए संयम, धैर्य और शांतिपूर्ण व्यवहार का संदेश प्रसारित किया।
आज भी यह प्रयास निरंतर जारी हैं, जिनका उद्देश्य सामाजिक समरसता की पुनः स्थापना है।

सामाजिक एकात्मता की पुनर्स्थापना हेतु आग्रह

प्रतिनिधि सभा में संघ द्वारा मणिपुर के सभी समुदायों से यह साग्रह अनुरोध किया गया कि वे मनस्ताप, कटुता और अविश्वास को त्यागकर परस्पर भाईचारे के साथ सामाजिक एकता को पुनः स्थापित करने में योगदान दें।
राज्य के विकास के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि सभी वर्ग मिलकर सकारात्मक वातावरण निर्माण करें।

विघटनकारी शक्तियों से सावधान रहने की आवश्यकता

प्रतिनिधि सभा के वक्तव्य में यह चेतावनी दी गई कि देश की एकता और अखंडता के सामने समय-समय पर विभाजनकारी शक्तियाँ चुनौती प्रस्तुत करती हैं।
जाति, भाषा, प्रान्त और पंथ के नाम पर समाज में भेद उत्पन्न करने की प्रवृत्तियाँ अब भी सक्रिय हैं।
वक्तव्य में यह भी उल्लेख हुआ कि कुछ जनजातीय क्षेत्रों एवं दक्षिण भारत में “अलग पहचान” जैसे विमर्शों के माध्यम से विघटन के बीज बोने का प्रयास किया जा रहा है।

सामाजिक सजगता और जनजागरण की आवश्यकता

प्रतिनिधि सभा में स्पष्ट रूप से कहा गया कि ऐसी प्रवृत्तियों के विरुद्ध समाज को सजग करना समय की माँग है।
सामूहिक चेतना, संवाद, सामाजिक समरसता और सेवा कार्यों के माध्यम से समाज को जोड़ने का निरंतर प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे देश की अखंडता सुरक्षित रह सके।




निष्कर्ष:

प्रतिनिधि सभा के इस वक्तव्य के माध्यम से संघ ने न केवल मणिपुर की परिस्थिति पर विचार प्रस्तुत किया, बल्कि सम्पूर्ण देश को यह संदेश दिया कि सामाजिक एकता, समरसता और परस्पर विश्वास ही राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी हैं।
मणिपुर जैसे क्षेत्र में स्थायी शांति तभी संभव है जब सभी समुदाय मिलकर एक नई शुरुआत करें।


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