Vsk Jodhpur

गद्दारों का समर्थन अर्थात बौद्धिक आतंकवाद : इन्द्रेश कुमार

Source: न्यूज़ भारती हिंदी 28 Feb 2016 



40 04 59 22 indresh kumar rss H@@IGHT 525 W@@IDTH 700

भोपाल, फरवरी 28 :
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य
इन्द्रेश कुमार ने “बौद्धिक आतंकवाद” विषय पर एक संगोष्ठि को संबोधित करते
हुए कहा कि स्वतंत्रता को कुचलने व जीवन मूल्यों को समाप्त करने की कोशिश
का नाम आतंकवाद है। हथियारों के उपयोग द्वारा अथवा गुंडागर्दी से भयभीत
करने का नाम ही आतंकवाद नहीं है, बल्कि वैचारिक रूप से भ्रमित करना भी
आतंकवाद का एक रूप है। शुरूआत दौर में कश्मीर में नारा लगता था- ‘हंसकर
लिया है पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान’, लेकिन 1947, 1962, 1965,
1971, 1999 में लगातार पराजित होकर पाकिस्तान ने समझ लिया कि इस प्रकार के
युद्ध में वह कभी विजई नहीं हो सकता। अतः उसने प्रोक्सी वार का सहारा लिया,
जो लगातार 60 वर्षों से जारी है।
अलगाववाद के नाम पर देश बंटा
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (Forum for
Awareness of National Security (FANS) की भोपाल ईकाई का शुभारम्भ गत 27
फरवरी को हुआ। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठि में इन्द्रेश कुमार ने कहा कि
सम्मुख युद्ध में दुश्मन के खिलाफ देश ने सदा एकजुट होकर हुंकार भरी,
किन्तु प्रॉक्सी वार में, छद्म युद्ध में कभी माओवाद, तो कभी अलगाववाद के
नाम पर देश कन्फ्यूज हुआ, डिवाइड हुआ। पाकिस्तान के खिलाफ जो पांच युद्ध
हुए वह कुल मिलाकर 6 माह, 26 दिन चला तथा उनमें 22-23 हजार जिंदगियों का
नुकसान हुआ, लेकिन प्रॉक्सी वार 60 साल से लगातार चल रहा है और उसमें दो
लाख से अधिक मानव जीवन को नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि
“जब
अमेरिका ने निर्णय लिया कि ओसामा को निबटाना है, तो वहां के किसी व्यक्ति
ने सवाल नहीं किया, किन्तु हमारे देश में पूछा जाता है- क्या योजना है,
क्या नीति है? यदि योजना अथवा नीति सार्वजनिक कर दी जाए, तो क्या सफलता
मिलेगी?”
हमारी पहचान हमारा देश
संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने
आगे कहा, हम पागल उसे कहते हैं, जिसे भूतकाल का स्मरण न रहे, मैं कौन हूं,
मेरा कौन है, यह भूल जाए। उसका वर्तमान से भी सम्बन्ध टूट जाता है तथा वह
भविष्य का विचार भी नहीं कर पाता। आजादी के बाद यही कार्य योजनाबद्ध रूप से
हमारे यहां हुआ है। कहा गया आर्य विदेशी हैं।
“कम्यूनिस्ट,
पश्चिम के स्कॉलर तथा हमारे यहां के पैसों से बिकने वाले लोग हमें हमारी
जड़ों से काटने में लग गए। हमारी पहचान हमारा देश होता है, हमारी जाति,
धर्म, पार्टी या समाज नहीं।”
इन्द्रेश कुमार ने राष्ट्रीय पहचान पर जोर
देते हुए कहा कि हम कहीं विदेश में जाते हैं तो वहां के लोग हमें हमारे
देश के नाम से ही पहचानते हैं। इसी प्रकार हम भी अमेरिका, रूस, कोरिया,
जापान, तुर्की या चीन से आए लोगों को उनके देश के नाम से ही जानते हैं।
विदेश में कोई किसी की जाति, समाज या पार्टी नहीं पूछता। आर्यावर्त, भारत,
हिन्द, हिन्दुस्तान, इंडिया ये नाम देश को प्रतिध्वनित करते हैं। इसी आधार
पर दुनियाभर के लोग हमें आर्य, भारतीय, हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तानी कहते
हैं। मुसलमान भी जब मक्का जाते हैं, तो वहां उनको हिन्दी मुस्लिम या इंडियन
मुस्लिम कहकर ही पुकारा जाता है। यही सार्वभौमिक सिद्धांत है।
पाकिस्तान खुद टूट रहा
इन्द्रेश कुमार ने आगे कहा कि ज्ञान लुप्त
होता है, तो विज्ञान का भी गला घुटता है। किसी देश को गुलाम बनाना है तो
उसे उसका अतीत भूला दो, उस पर बौद्धिक हमला कर भ्रमित कर दो। 47 के पहले
पूरे भारत में गवाही की कीमत एक समान थी। एक मर्द मुसलमान एक गवाही, एक औरत
मुसलमान एक गवाही। आजादी के बाद भारत में तो वही पद्धति रही किन्तु
पाकिस्तान में औरत की गवाही आधी हो गई। एक मर्द की गवाही एक गवाही, किन्तु
एक औरत की गवाही, आधी गवाही। इसी प्रकार अगर मुसलमान को पांच टाइम नमाज
पढ़नी है, तो आजादी के पहले वह अपने घर, दूकान अथवा बाजार में जहां चाहे
नमाज पढ़ सकता था। किन्तु आजादी के बाद, भारत में तो वह कहीं भी नमाज पढ़
सकता है, लेकिन पाकिस्तान में अगर वह किसी सार्वजनिक स्थान पर नमाज पढ़े तो
पुलिस पकड़ ले जाएगी। उसे पाकिस्तान में आजादी नहीं, यहं भारत में आजादी
है। 
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पख्तून,
बलूच, सिन्ध, बाल्टिस्तान, सबमें आजादी की मांग उठ रही है। इसकी मांग
करते-करते लाखों लोग मारे भी जा चुके हैं।
“किसी
की नफ़रत के सहारे कोई भी देश अपने को कायम नहीं रख सकता। यह हैरत की बात
है कि जो पाकिस्तान खुद टूट रहा है, उसके जिंदाबाद के नारे लगानेवाले, भारत
के टुकड़े होने के ख़्वाब देख रहे हैं। ”
 
कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य के वायदे के साथ विश्वासघात किया    
संघ प्रचारक ने कहा कि आज अगर कुछ लोग
भारत को तोड़ने की बात करते है, इसका अर्थ है कि वे भारत को प्यार नहीं
करते। जो भारत को प्यार नहीं करते, वे भारत में रह क्यों रहे हैं? अगर वे
पाकिस्तान जाएं तो हमें क्या आपत्ति? एक नेता कहते हैं कि हमें आरएसएस
देशभक्ति न सिखाए, उन्होंने आजादी के लिए क्या किया? तो सवाल उठता है कि
उन्होंने स्वयं देश की आजादी के लिए क्या किया? उनके पूर्वजों ने किया, तो
प्रत्येक देशवासी के पूर्वजों ने भी किया।
इन्द्रेश कुमार ने सवाल पूछते हुए कहा कि देश की आजादी के लिए जो दस बीस लाख बलिदान हुए, क्या वे सब कांग्रेसी थे? उन्होंने कहा कि
“आजादी
के पहले देश का बंटवारा हुआ। बंटवारा स्वीकार करने के बाद ही आजादी मिली।
कांग्रेस ने रावी के तट पर कसम खाई थी- अखंड भारत की। आपने वायदा किया था
अखंड भारत का। आपने पूर्ण स्वराज्य के वायदे के साथ विश्वासघात किया।”
 
आजादी की लड़ाई आपके पुरखों ने लड़ी, तो
हमारे पुरखों ने भी लड़ी। हां, हमने देश नहीं बेचा, जबकि आप आजादी के बाद से
ही लगातार देश को बेचने का धंधा करते रहे। हद तो तब हो गई, जब आप मकबूल,
याकूब, अफजल, कसाब के कातिल ज़िंदा हैं, हम शर्मिन्दा हैं, जैसे नारे लगाने
वालों के साथ जाकर खड़े हो गए। जरा सोचिए, राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज
की, तो क्या वे कातिल हो गए? सारी न्यायपालिका व न्यायाधीश भी कातिल हो गए?
जब फांसी हुई तब राज कांग्रेस का था, तो कांग्रेस भी कातिल? तो इनकी
गिरेबान पकड़कर क्यूं नहीं पूछना चाहिए कि आखिर तुम्हें कातिल बतानेवालों के
साथ जाकर तुम कैसे और क्यों खड़े हो गए? उन्हें बदनाम करने की जरूरत नहीं
है, उन्हें चिढ़ाओ, ताकि वे ठीक हो जाएं।
इन्द्रेश कुमार ने कह कि ईश्वर ने बड़ी
कृपा की, जो जेएनयू की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उजागर कर दिया। हमें तय
करना होगा कि न तो हम पाप करेंगे, न अपनी आंखों के सामने पाप होने देंगे।
कायर और कमजोर नहीं, निडर और बलशाली बनना होगा। अगर कोई देश के विरुद्ध
नारा लगा रहा है तो क़ानून से क्या पूछना? देशद्रोह को बढ़ावा देनेवाला
बौद्धिक वर्ग, बौद्धिक आतंकवादी है। कितनी ईमानदारी से ये लोग बेईमानी कर
रहे हैं। 

40 04 59 42 1 H@@IGHT 379 W@@IDTH 650

इसके पूर्व गोष्ठी को संबोधित करते हुए
प्रख्यात साहित्यकार व धर्मपाल शोधपीठ के संयोजक रामेश्वर मिश्र ‘पंकज’ ने
कहा कि देश में कुछ बौद्धिक लम्पटों को सरकारों का संरक्षण मिला, जो लगातार
देश की बुनियाद को खोखला करते रहे। हम विदशी धन पर आश्रित मीडिया पर ध्यान
ही क्यों दें? उनकी चर्चा ही क्यों करें? आज कि मैन स्ट्रीम मीडिया है,
सोशल मीडिया। उस पर हम सवाल उठाएं कि देशभक्ति को दंडनीय कैसे कहा जा सकता
है? भारत की वीरता को कुंठित क्यों किया जा रहा है? देशप्रेम की भावना,
उसके प्रति संवेदनशीलता तो पुरष्कृत होना चाहिए।  
रामेश्वर मिश्र ने कहा कि हम भी नारा
लगाएं- देशद्रोह से आजादी, गद्दारों से आजादी, गद्दारों को पीटने की आजादी।
हमें अपना अभिमत रखना आना चाहिए, दूसरों का जबाब नहीं देते रहना चाहिए।
अगर समाज में थोड़े लोग भी जागरूक हो जाएं तो वे अपने सामर्थ्य से सबको बहा
ले जाएंगे। राष्ट्रभक्ति को जागृत करें। इस समय लोग खुली बहस की वकालत कर
रहे हैं, हम भी उसका फायदा उठाएं। देशद्रोहियों को पीटने का हक है, यह मांग
वातावरण में फ़ैलने दीजिए। फिर हाल देखिए इन लफंगे बौद्धिक आतंकवादियों
का।
सोशल शेयर बटन

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archives

Recent Stories

Scroll to Top