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5 देशों की यात्रा: कैसे PM मोदी ने भारत की वैश्विक ताकत को नई दिशा दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2 से 9 जुलाई 2025 तक की पांच देशों की यात्रा ने भारत की वैश्विक छवि और कूटनीतिक ताकत को नई ऊंचाई दी है। इस ऐतिहासिक दौरे में उन्होंने घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा किया। यह यात्रा न केवल भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही, बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के संबंधों को भी मजबूती मिली।

इस यात्रा की शुरुआत घाना से हुई, जहां मोदी 30 वर्षों में जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। घाना के राष्ट्रपति ने उनका भव्य स्वागत किया और दोनों देशों ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया। मोदी ने घाना की संसद को भी संबोधित किया, जिससे अफ्रीका में भारत की सॉफ्ट पावर और निवेश को नई दिशा मिली।

त्रिनिदाद और टोबैगो तथा अर्जेंटीना में भी पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय से संवाद किया और द्विपक्षीय व्यापार, डिजिटल पेमेंट, स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि क्षेत्र में सहयोग के कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन देशों में भारत की तकनीकी और औद्योगिक विशेषज्ञता को लेकर गहरी रुचि दिखाई गई।

ब्राजील में पीएम मोदी ने BRICS शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया, जहां वैश्विक शासन, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर भारत की भूमिका को मजबूती से रखा। ब्राजील के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता में व्यापार, रक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में साझेदारी को और सशक्त किया गया।

यात्रा का अंतिम चरण नामीबिया रहा, जहां मोदी 27 वर्षों में जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। उन्हें नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एन्शिएंट वेल्वित्शिया मिराबिलिस’ से नवाजा गया। दोनों देशों के बीच डिजिटल पेमेंट और फिनटेक सेक्टर में ऐतिहासिक समझौते हुए, जिससे अफ्रीका में भारतीय तकनीक का विस्तार होगा। मोदी ने नामीबिया की संसद को भी संबोधित किया और लोकतंत्र, विकास और रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया।

इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी को चार देशों ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया, जिससे भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और मजबूत हुई। उन्होंने अब तक कुल 17 विदेशी संसदों को संबोधित करने का रिकॉर्ड भी बनाया, जो सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के संयुक्त आंकड़े के बराबर है।

इस यात्रा ने भारत को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में स्थापित किया, व्यापार, रक्षा, डिजिटल और ऊर्जा क्षेत्र में नई साझेदारियां बनाईं और भारत की विश्व मंच पर निर्णायक भूमिका को और सशक्त किया।

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