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1991 की कांग्रेस सरकार ने बनाया था भारत-पाक पूर्व-सूचना सैन्य समझौता, अब उसी प्रोटोकॉल पर सवाल क्यों?

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क्या है 1991 का पूर्व-सूचना (Pre-Notification) समझौता?

1991 में प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान के साथ एक सैन्य पारदर्शिता समझौता (Agreement on Advance Notice on Military Exercises, Manoeuvres and Troop Movements) किया था।

  • इस समझौते के तहत, भारत और पाकिस्तान दोनों को अपनी सीमाओं के पास किसी भी बड़े सैन्य अभ्यास, सैनिकों की तैनाती या मूवमेंट के बारे में कम-से-कम 15 दिन पहले एक-दूसरे को सूचित करना अनिवार्य था।
  • यह व्यवस्था दोनों देशों के बीच गलतफहमी, तनाव और आकस्मिक युद्ध की संभावना को कम करने के लिए की गई थी।

मौजूदा विवाद: राहुल गांधी और कांग्रेस की आलोचना

  • हाल ही में राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से सवाल किया कि उन्होंने पाकिस्तान को भारतीय वायुसेना की कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) की सूचना क्यों दी।
  • राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान को सूचना देना “अपराध” है और इससे भारत को नुकसान हुआ।
  • कांग्रेस के नेताओं ने इसे मोदी सरकार की “कमजोरी” और “घात” बताया, जबकि भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगाया।

सत्य क्या है?

  • विदेश मंत्रालय (MEA) और PIB ने स्पष्ट किया कि जयशंकर के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
  • जयशंकर ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के “प्रारंभिक चरण” में पाकिस्तान को संदेश दिया गया था कि भारत केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बना रहा है, पाकिस्तानी सेना या आम नागरिकों को नहीं। यह संदेश ऑपरेशन शुरू होने के बाद ही भेजा गया, न कि उससे पहले।
  • यह सैन्य प्रोटोकॉल और अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त प्रक्रिया है, जिससे अनावश्यक युद्ध या गलतफहमी टाली जा सके।
  • पाकिस्तान की सेना ने भी भारत के “पूर्व सूचना” दावे को पूरी तरह खारिज किया है और इसे “कॉमिक नैरेटिव” कहा है।

राजनीतिक सच्चाई

  • 1991 का समझौता कांग्रेस सरकार के समय हुआ था, जिसमें दोनों देशों को पूर्व-सूचना देना अनिवार्य किया गया था।
  • मौजूदा सरकार ने इसी प्रोटोकॉल का पालन किया, लेकिन कांग्रेस अब उसी को लेकर सवाल उठा रही है, जिससे राजनीतिक दोगलापन और भ्रामक नैरेटिव सामने आ रहा है
  • पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई की पूर्व सूचना देना 1991 से दोनों देशों के बीच स्थापित सैन्य प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसे कांग्रेस सरकार ने ही लागू किया था।
  • राहुल गांधी और कांग्रेस का मौजूदा हमला तथ्यों की अनदेखी और राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक नैरेटिव गढ़ने जैसा है।
  • विदेश मंत्रालय और सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोई भी सूचना ऑपरेशन के बाद, सिर्फ टारगेट क्लैरिटी के लिए दी गई थी, न कि पहले से।
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