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सुपर सुखोई अपग्रेड: भारतीय वायुसेना के लिए तकनीकी क्रांति, विरुपक्ष AESA रडार और अस्त्र Mk3 से चीन-पाकिस्तान पर बढ़त

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भारतीय वायुसेना के सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान Su-30MKI अब “सुपर सुखोई” अपग्रेड के जरिए 2055 तक दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर जेट्स की कतार में बने रहेंगे। रक्षा मंत्रालय ने 84 सुखोई विमानों के पहले बैच को अपग्रेड करने के लिए लगभग 60,000 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक योजना को मंजूरी दी है। यह परियोजना दो चरणों में पूरी होगी और इसमें अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक, नए हथियार, सॉफ्टवेयर और इंजन शामिल किए जाएंगे।

इस अपग्रेड का सबसे बड़ा आकर्षण है DRDO द्वारा विकसित विरुपक्ष AESA रडार, जो मौजूदा रूसी रडार की तुलना में 1.5 से 1.7 गुना अधिक दूरी तक दुश्मन के विमानों का पता लगाने में सक्षम है। यह रडार 300-400 किलोमीटर तक की रेंज में मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग, तेज स्कैनिंग और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के खिलाफ बेहतरीन सुरक्षा देता है। इसके अलावा, सुखोई में पूरी तरह डिजिटल ग्लास कॉकपिट, एडवांस्ड मिशन कंप्यूटर, और नेटवर्क-केंद्रित डेटा लिंक सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे यह विमान ड्रोन्स और ग्राउंड स्टेशन से रीयल टाइम में जुड़ा रह सकेगा।

सुपर सुखोई में लगने वाली अस्त्र Mk3 मिसाइल भारत की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली एयर-टू-एयर मिसाइल होगी, जिसकी रेंज 350 किलोमीटर से भी ज्यादा है। यह मिसाइल चीन की PL-15 और पाकिस्तान की AIM-120C AMRAAM जैसी मिसाइलों को भी चुनौती दे सकती है। इसके अलावा, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, रुद्रएम-II और अन्य आधुनिक हथियार भी इन विमानों में इंटीग्रेट किए जाएंगे।

इस अपग्रेड के बाद सुखोई-30MKI की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता भी कई गुना बढ़ जाएगी। नया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट विमान को दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बचाने में सक्षम होगा। इसमें सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर्स, रडार वार्निंग रिसीवर, चाफ और फ्लेयर्स डिस्पेंसर जैसी तकनीकें शामिल होंगी, जिससे विमान की सुरक्षा और प्रभावशीलता में जबरदस्त इजाफा होगा।

इंजन के स्तर पर भी बड़ा बदलाव किया जा रहा है। रूस ने भारत को Su-57 फाइटर जेट में इस्तेमाल होने वाले AL-41 इंजन का विकल्प दिया है, जो मौजूदा AL-31 इंजन की तुलना में अधिक पावरफुल और फ्यूल एफिशिएंट है। इस इंजन से सुखोई की ऑपरेशनल रेंज, थ्रस्ट और पेलोड क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे यह विमान ऊंचाई वाले इलाकों और मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों में भी आसानी से ऑपरेट कर सकेगा।

इस पूरी परियोजना में 78% से अधिक स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल होगा। HAL, DRDO और निजी कंपनियों की साझेदारी से भारत न केवल अपनी वायुसेना को आधुनिक बना रहा है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी बड़ा कदम बढ़ा रहा है। अपग्रेडेड सुपर सुखोई अब पांचवीं पीढ़ी के विमानों को टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इनकी मारक क्षमता, नेटवर्किंग, इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा और लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता भारतीय वायुसेना को चीन के J-20 और पाकिस्तान के F-16 जैसे विमानों पर निर्णायक बढ़त दिलाएगी।

यह अपग्रेड भारतीय वायुसेना की रणनीतिक जरूरतों को अगले 30 वर्षों तक पूरा करेगा और भारत को क्षेत्रीय तथा वैश्विक स्तर पर वायु शक्ति के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा।

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