Vsk Jodhpur

शास्त्रों से जुड़ाव ही संस्कृति की असली पहचान: लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला

भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी अमरता का रहस्य उसके शास्त्रों में छिपा है। हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने अपने एक वक्तव्य में कहा, “अगर शास्त्र को भूलोगे तो अपनी संस्कृति को खो दोगे।” यह वाक्य न केवल एक चेतावनी है, बल्कि आज के समाज के लिए एक मार्गदर्शन भी है, जहां आधुनिकता और पाश्चात्य प्रभाव के बीच हमारी सांस्कृतिक पहचान कहीं खोती जा रही है।

जनरल शुक्ला का मानना है कि शास्त्र केवल धार्मिक या आध्यात्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे हमारे जीवन के हर पहलू को दिशा देने वाले ग्रंथ हैं। वे हमें न केवल धर्म और नीति का मार्ग दिखाते हैं, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन और सदाचार भी सिखाते हैं। रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद, गीता जैसे शास्त्रों में निहित ज्ञान और मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने हजारों वर्ष पहले थे।



जनरल शुक्ला ने अपने संबोधन में युवाओं को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम अपनी जड़ों से कट जाएंगे, तो हमारी संस्कृति भी खो जाएगी। उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में, जब सूचनाओं की बाढ़ है और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, तब शास्त्रों का अध्ययन और उनके आदर्शों का पालन करना और भी जरूरी हो गया है। शास्त्रों से जुड़ाव न केवल हमारे आत्मबल और नैतिकता को मजबूत करता है, बल्कि हमें वैश्विक मंच पर भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने में मदद करता है।

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि शास्त्रों की शिक्षा केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देशभक्ति, कर्तव्य, सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा और सामाजिक समरसता जैसी भावनाओं को भी जन्म देती है। जब तक हम अपने बच्चों और युवाओं को शास्त्रों का महत्व और उनका व्यवहारिक पक्ष नहीं सिखाएंगे, तब तक हमारी संस्कृति की जड़ें कमजोर होती जाएंगी।

लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला का यह संदेश हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है कि हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजना और आगे बढ़ाना है। शास्त्रों का अध्ययन और उनके आदर्शों का पालन ही हमारी संस्कृति की अमरता और गौरव का आधार है।

सोशल शेयर बटन

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archives

Recent Stories

Scroll to Top