दिल्ली में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) को लेकर संसद की संयुक्त समिति (JPC) के समक्ष पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने समिति के सामने स्पष्ट किया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अवधारणा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करती, लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग को प्रस्तावित कानून के तहत दी जा रही ‘असीमित शक्तियों’ पर गंभीर चिंता जताई। दोनों पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को इतनी व्यापक अथॉरिटी न दी जाए, बल्कि एक स्पष्ट ‘चेक्स एंड बैलेंस’ सिस्टम और निगरानी तंत्र होना चाहिए।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान ने कभी यह नहीं कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग होने चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पांच साल की सरकार का कार्यकाल ‘गुड गवर्नेंस’ के लिए जरूरी है और इसे किसी भी परिस्थिति में कम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगाह किया कि अगर चुनाव आयोग को अनुच्छेद 82A(3) के तहत अत्यधिक अधिकार मिलते हैं, तो वह राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटा या बढ़ा सकता है, जो संविधान की भावना के विपरीत है।
पूर्व CJI खेहर और चंद्रचूड़ दोनों ने समिति के सामने यह भी कहा कि विधेयक में चुनाव आयोग को सिर्फ उतनी ही शक्ति मिलनी चाहिए, जितनी प्रक्रिया को लागू करने के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि चुनाव प्रक्रिया पर एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र होना चाहिए, ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
JPC के चेयरमैन पीपी चौधरी ने बताया कि समिति सभी पक्षों, विशेषज्ञों और राज्यों के नेताओं से राय ले रही है। अधिकांश नेताओं और नागरिक संगठनों ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का समर्थन किया है, हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय बनाम राज्य मुद्दों पर चिंता जताई है।
इस पूरी प्रक्रिया में पूर्व CJI चंद्रचूड़ और खेहर का योगदान निर्णायक माना जा रहा है, क्योंकि वे संविधान और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के मद्देनज़र संतुलित राय दे रहे हैं। समिति की रिपोर्ट जल्द ही संसद के सामने पेश की जाएगी।
#WATCH | One Nation One Election | Delhi: Former CJI Justice JS Khehar has given his presentation before the JPC. Now, Justice DY Chandrachud is going to give his presentation. pic.twitter.com/PGXHbj3O31
— ANI (@ANI) July 11, 2025