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रूस ने भारत को दिया R-37M हाइपरसोनिक मिसाइल ऑफर: अमेरिका और चीन दोनों को झटका

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रूस ने भारत को अपनी सबसे अत्याधुनिक लंबी दूरी की हाइपरसोनिक एयर-टू-एयर मिसाइल R-37M (NATO नाम: AA-13 Axehead) देने की पेशकश की है। यह ऑफर ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान ने हाल ही में चीनी PL-15 मिसाइलों से भारतीय वायुसेना के छह फाइटर जेट मार गिराने का दावा किया था, और F-16 जैसे अमेरिकी लड़ाकू विमानों की चुनौती भी सामने है।

R-37M मिसाइल की खासियत
रेंज: 300-400 किलोमीटर, जो भारत के मौजूदा R-77 (100 किमी) से कई गुना ज्यादा है।

स्पीड: मैक 6 (करीब 7,400 किमी/घंटा), जिससे दुश्मन के विमानों को बचने का समय नहीं मिलता।

टारगेट: दुश्मन के फाइटर जेट, AWACS, टैंकर एयरक्राफ्ट आदि को भारतीय सीमा से बहुत दूर रहते ही मार गिराने में सक्षम।

गाइडेंस: एडवांस इनर्शियल नेविगेशन, एक्टिव और सेमी-एक्टिव रडार होमिंग सिस्टम, फायर-एंड-फॉरगेट क्षमता।

भारतीय प्लेटफॉर्म: विशेष रूप से Su-30MKI फ्लीट के लिए प्रस्तावित, जिसे “सुपर सुखोई” अपग्रेड के तहत आधुनिक बनाया जा रहा है।

रणनीतिक महत्व
F-16 और PL-15 का जवाब: पाकिस्तान के F-16 और चीन के J-10C जैसे विमानों की बढ़ती ताकत और PL-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलों के खतरे को देखते हुए, R-37M भारतीय वायुसेना को निर्णायक बढ़त देगा।

डोमेस्टिक प्रोडक्शन: रूस ने भारत को “मेक इन इंडिया” के तहत R-37M के स्थानीय निर्माण का भी प्रस्ताव दिया है, जिससे आत्मनिर्भरता और तकनीकी ट्रांसफर को बढ़ावा मिलेगा।

पश्चिम और चीन को संदेश: रूस का यह ऑफर न केवल भारत-रूस रक्षा संबंधों को और मजबूत करता है, बल्कि पश्चिमी देशों और चीन के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए स्वतंत्र और बहुपक्षीय रणनीति अपना रहा है।

तकनीकी और कूटनीतिक संतुलन
भारत अपने स्वदेशी अस्त्र Mk-2/3 मिसाइलों पर भी काम कर रहा है, परंतु R-37M जैसी मिसाइल तुरंत उपलब्ध और युद्ध में आजमाई गई है। रूस के साथ यह डील भारत को पश्चिमी और स्वदेशी दोनों विकल्पों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी।

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