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राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए नामित चार विशिष्ट सदस्य: विविध क्षेत्रों में देश का गौरव बढ़ाने वाले व्यक्तित्व

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए राज्यसभा के लिए चार नए सदस्यों को मनोनीत किया है। यह नियुक्ति न केवल संसद में विशेषज्ञता और विविधता को बढ़ावा देने का प्रयास है, बल्कि इन चारों विभूतियों के अद्वितीय योगदान देश के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। इन सदस्यों में उज्ज्वल देवराव निकम, सी. सदानंदन मास्टर, हर्षवर्धन श्रृंगला और डॉ. मीनाक्षी जैन शामिल हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर भारत का नाम रोशन किया है।

उज्ज्वल देवराव निकम:
देश के सबसे प्रसिद्ध अभियोजकों में से एक, उज्ज्वल निकम ने आतंकवाद, संगठित अपराध और जघन्य हत्याओं जैसे कई चर्चित मामलों में सरकार का पक्ष मजबूती से रखा। 1993 मुंबई बम धमाकों, 26/11 मुंबई आतंकी हमलों, और प्रख्यात राजनेता प्रभाकरन हत्याकांड जैसे मामलों में उनकी कानूनी रणनीति और तर्कशक्ति ने न्यायिक व्यवस्था में आमजन का विश्वास बढ़ाया। निकम का योगदान न केवल न्याय की स्थापना में है, बल्कि उन्होंने कानूनी शिक्षा और विधि सुधार के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभाई है।

सी. सदानंदन मास्टर:
शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में सी. सदानंदन मास्टर का योगदान अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने केरल के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा का प्रसार किया और हजारों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई। उनके नवाचारों ने शिक्षा के क्षेत्र में नई दिशा दी, जिससे समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिली। समाज सेवा, बाल अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के लिए उनके प्रयासों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
सी. सदानंदन मास्टर ने अपनी सामाजिक सक्रियता के दौरान अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना किया। एक हमले में कम्युनिस्ट गुंडों द्वारा उनके दोनों पैर काट दिए गए थे, इसके बावजूद उन्होंने अपने सेवा कार्य और शिक्षा के मिशन को जारी रखा। उनका यह साहस और समर्पण आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।



हर्षवर्धन श्रृंगला:
भारत के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कूटनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड जैसे देशों में भारत के राजदूत के रूप में सेवाएं दीं। कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर वैक्सीन डिप्लोमेसी, पड़ोसी देशों से संबंधों का सुदृढ़ीकरण, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सशक्त उपस्थिति में उनकी भूमिका निर्णायक रही। श्रृंगला की रणनीतिक सोच और संवाद कौशल ने भारत की विदेश नीति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

डॉ. मीनाक्षी जैन:
इतिहासकार और शिक्षाविद् डॉ. मीनाक्षी जैन ने भारतीय इतिहास और संस्कृति के पुनर्पाठ में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी शोधपरक कृतियों ने समाज को अपनी सांस्कृतिक जड़ों और गौरवशाली विरासत से परिचित कराया। उन्होंने मंदिरों, सामाजिक सुधार आंदोलनों और भारतीय समाज की विविधता पर गहन शोध किया है, जिससे नई पीढ़ी को इतिहास की सच्ची तस्वीर जानने का अवसर मिला। शिक्षा और अकादमिक जगत में उनका योगदान अमूल्य है।

इन चारों नामित सदस्यों की उपलब्धियां न केवल उनके क्षेत्रों तक सीमित हैं, बल्कि उन्होंने देश के लोकतांत्रिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और कूटनीतिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्यसभा में इनकी उपस्थिति संसद की चर्चाओं को और अधिक समृद्ध और व्यापक बनाएगी, जिससे देश की नीतियों और कानूनों को नई दिशा मिलेगी।

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