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भारत ने चीनी कार्टेल को दी कड़ी टक्कर: रेयर अर्थ मेटल्स के लिए फंडिंग और रणनीतिक भंडारण की योजना मंजूर

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भारत ने रेयर अर्थ मेटल्स (Rare Earth Metals) के क्षेत्र में चीन की एकाधिकार नीति को चुनौती देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन (fiscal incentives) और दीर्घकालिक रणनीतिक भंडारण (stockpiling) की योजना को मंजूरी दे दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब चीन ने अप्रैल 2025 से रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिससे वैश्विक ऑटो, रक्षा और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में भारी संकट पैदा हो गया है।

क्या है भारत की नई रणनीति?
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: सरकार घरेलू कंपनियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स के उत्पादन के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) देने जा रही है, जिससे लागत में चीन के मुकाबले प्रतिस्पर्धा लाई जा सके।

स्टॉकपाइलिंग: भारत कंपनियों के साथ मिलकर रेयर अर्थ मैग्नेट्स का दीर्घकालिक भंडारण (strategic stockpile) बनाएगा, ताकि आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में देश आत्मनिर्भर रहे।

कीमत में अंतर की भरपाई: सरकार घरेलू उत्पादित मैग्नेट्स और चीनी आयात के बीच कीमत के अंतर को आंशिक रूप से सब्सिडी के जरिए कवर करेगी, जिससे स्थानीय मांग को बढ़ावा मिलेगा।

नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन: अप्रैल 2025 में लॉन्च हुए इस मिशन के तहत, भारत ने 1200 से अधिक खनिज अन्वेषण परियोजनाओं की शुरुआत की है और 30 क्रिटिकल मिनरल्स की सूची तैयार की है।

निजी निवेश और खनन: भारत के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेयर अर्थ भंडार (6.9 मिलियन टन) है, लेकिन अब तक इसका दोहन सीमित था। अब निजी निवेश और तकनीकी विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।

क्यों है यह कदम अहम?
आत्मनिर्भरता: चीन वैश्विक रेयर अर्थ मैग्नेट्स का 90% प्रोसेसिंग करता है। भारत की यह पहल आयात निर्भरता कम करेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों को मजबूती देगी।

वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की भूमिका: भारत अब न सिर्फ अपनी जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भी रेयर अर्थ मेटल्स का अहम आपूर्तिकर्ता बन सकता है।

रणनीतिक भंडारण: संकट के समय उद्योगों को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी, जिससे उत्पादन बाधित नहीं होगा।

भारत की यह नई नीति चीनी वर्चस्व को तोड़ने की दिशा में निर्णायक कदम है। इससे देश की रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूती मिलेगी और भारत वैश्विक रेयर अर्थ सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार होगा।

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