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पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों के लिए गैस और पानी की सप्लाई की बंद—नई राजनयिक तनातनी

इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के राजनयिकों और उनके परिवारों को पाकिस्तान सरकार द्वारा बुनियादी सुविधाओं—रसोई गैस, पीने का पानी और समाचार पत्र—की सप्लाई अचानक रोक दी गई है। यह घटना हाल ही में हुए “ऑपरेशन सिंदूर” और इंडस वॉटर संधि पर भारत की कड़ी नीति के बाद आई है, जिससे पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है और अब बदले की कार्रवाई पर उतर आया है।

भारतीय मिशन को पहले पाइपलाइन गैस मिलती थी, लेकिन अब सप्लाई जानबूझकर रोक दी गई है; इसी तरह एलपीजी सिलेंडर, मिनरल वाटर और स्थानीय अखबार विक्रेताओं को धमकी दी गई है कि वे भारतीय राजनयिकों व कर्मचारियों को सामान न बेचें। इसके चलते भारतीय राजनयिकों को खुले बाजार से अधिक दाम देकर गैस व पानी खरीदना पड़ रहा है, जिसमें भी मुश्किलें आ रही हैं। उच्चायोग के निवासों और दफ्तरों में अखबार की सप्लाई भी रोक दी गई है, जिससे राजनयिक कर्मचारी स्थानीय घटनाक्रम से कट गए हैं और जीवन असहज हो गया है.

इन हरकतों को भारत ने “वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस, 1961” का खुला उल्लंघन बताया है। कन्वेंशन के अनुसार, मेजबान देश को राजनयिक मिशन को हर सुविधा उपलब्ध कराना जरूरी होता है ताकि मिशन का कामकाज बाधित न हो। लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की साजिश के तहत भारतीय राजनयिकों को डराने, काम में बाधा पहुंचाने और दबाव डालने का यह एक सोचा-समझा कदम है.

इसके जवाब में भारत ने भी दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास को अखबार की सप्लाई रोक दी है, लेकिन अन्य मूलभूत सुविधाएं जारी हैं। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव अपने चरम पर है और राजनयिकों की सामान्य जिंदगी मुश्किल होती जा रही है।

यह मुद्दा सिर्फ मानवता ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय कानून का भी है—जहां राजनीति और प्रतिशोध के बीच राजनयिक प्रतिनिधियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

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