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नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित की गई बलूचिस्तान की आवाज़ डॉ महारंग बलूच को पाकिस्तानी सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया!

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नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित की गई बलूचिस्तान की आवाज़ डॉ महारंग बलूच को पाकिस्तानी सरकार ने गिरफ़्तार कर लिया!

क्वेटा. बलूच यकजेहती समिति (BYC) कि केंद्रीय संरक्षक एवं अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ.महारंग बलूच को शनिवार सुबह सरियाब रोड पर एक धरना प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार किया है।

पाकिस्तान ने अभी तक डॉ.महारंग बलूच और उनके साथियों को कोर्ट में पेश नहीं किया है।

डॉ.महारंग बलूच के परिवार का आरोप है कि महारंग को अभी तक उनके वकील से भी नहीं मिलने दिया है। ना ही कोर्ट में पेश किया है। परिवार दो दिन से जेल के बाहर दवा, कपड़े और खाना देने की कोशिश कर रहा है,लेकिन पाकिस्तान प्रशासन उन्हें देने नहीं दे रहा है, उनकी कोई ख़बर अभी तक नहीं है।

अंतराष्ट्रीय समूहों ने पुष्टी की है कि डॉ.बलूच, उनकी बहन और दो अन्य कार्यकर्ताओं को क्वेटा के हुड्डा जेल में रखा गया है।

प्रदर्शन में शामिल प्रदर्शकारीयों के अनुसार ” वे तीन मृतकों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे और ज़बरन गायब किए गए BYC समिति के राष्ट्रीय सदस्य बेबर्ग बलूच, उनके भाई डॉ.हमाल और बोलन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.ईलियास बलूच, साथ ही बलूच कार्यकर्ता सईदा और अन्य की रिहाई की मांग कर रहे थे।

डॉ.महारंग बलूच गिरफ्तारी के एक दिन पहले शुक्रवार को क्वेटा में प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने तीन बलूच युवकों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जिसमें एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए, उनमें बच्चे और महिलाएं शामिल थी। बलूच यकजेहती समिति के कार्यकर्ताओं का दावा है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से रैली का आयोजन कर प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन पाकिस्तानी सेना ने निहत्थे लोगों पर आंसू गैस के गोले,पानी की बौछारें और बंदूकों का इस्तेमाल करके निर्दोष बलूच युवकों की हत्या कर दी थी।

उन्हीं तीन मृतकों के शवों को रखकर सरियाब रोड पर BYC समिति की डॉ.महारंग बलूच और अन्य बलूच कार्यकर्ता बलूच आवाम की पीड़ितों के साथ प्रदर्शन कर रहे थे।

दुनियाभर में डॉ.बलूच की गिरफ्तारी की चर्चा और रिहाई की मांग ज़ोर पकड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मंच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठन इनके रिहाई की पाकिस्तान से मांग कर रहे हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने रविवार को प्रेस रिलीज़ कर कहा ” बलूचिस्तान की स्थिति चिंताजनक है, पाकिस्तान सरकार मानवाधिकार का सीधा उल्लंघन कर रही हैं और बलूच कार्यकर्ता को ज़बरन गायब कर गिरफ़्तार करना मानवाधिकार को चिंता में डाल रही है। डॉ. महारंग बलूच को 38 घंटे से हिरासत में है, और डॉ.बलूच महिला है उनको अभी तक कोर्ट में पेश नहीं किया गया है,वो एक राजनीतिक कैदी है,उन्हें परिवार और वकील से मिलने नही दिया जा रहा है। वहीं आगे कहां ” पाकिस्तान सरकार बलूच मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को झूठे मामलों में फंसाना बंद करे, हाल की दिनों शुक्रवार की हिंसा में पाकिस्तान सरकार की गोलियों से तीन बलूच युवकों के मौत हुई है, इतनी हिंसा के बाद मोबाइल नेटवर्क बंद करना दर्शाता है, वहां कि सूचना को पाक सेना रोक रही है।पाकिस्तान सरकार किस प्रकार से बलूच आवाम के जीवन की उपेक्षा कर रही है,इसकी कठोर निंदा की है। दमनात्मक गैर कानूनी कार्यवाही की जांच की मांग कि है।”

संयुक्त राष्ट्र अधिकारी और वैश्विक अधिकारी समूह ने रिहाई की मांग की
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार रक्षकों की विशेष दूत मैरी लॉलर ने गिरफ्तारियों पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने एक्स पर लिखा , “मैं इस खबर से बहुत चिंतित हूं कि बलूचिस्तान में कार्रवाई के बाद डॉ. महरंग बलूच और कई अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।”  उन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों से हिरासत में लिए गए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।”
फ्रंट लाइन डिफेंडर ने कहा” हमारा मानना है कि उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तान सरकार व सेना के द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को उजागर करने का प्रतिशोध है।”
पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग़ ने भी इसकी आलोचना की है। और यूरोपीय संघ के पाकिस्तान की जीएसपी+यूरोपीय व्यापार संघ के नियमों के शर्तों के उल्लंघन का हवाला दिया, पाकिस्तानी सेना के कदम को आतंकी कदम बताया है।
पेन नॉर्वे ने डॉ. बलूच की तत्काल रिहाई और कानूनी परामर्श उपलब्ध कराने की मांग की।

समूह ने कहा, “डॉ महरंग बलूच जैसे मानवाधिकार रक्षकों को उनकी स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार का प्रयोग करने के लिए हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए।”

डॉ. बलूच के खिलाफ हत्या और आतंकवाद के आरोप दर्ज
पाकिस्तानी अधिकारियों ने डॉ. बलूच और अन्य बीवाईसी नेताओं के खिलाफ हत्या और आतंकवाद सहित कई मामले दर्ज किए हैं।

ये मामले क्वेटा में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में तीन व्यक्तियों की मौत से संबंधित हैं।

पुलिस ने बताया कि डॉ. बलूच के खिलाफ सिविल लाइन, ब्रेवरी और सरियाब पुलिस थानों में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं।

22 मार्च को सरियाब पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई एफआईआर में आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) की धारा 7 और 11-डब्ल्यू तथा पाकिस्तान दंड संहिता की 16 धाराएं शामिल हैं।

सूचीबद्ध आरोपों में आतंकवाद, हत्या, हत्या का प्रयास, हिंसा भड़काना, विद्रोह, जातीय घृणा और संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल हैं।

डॉ. महारंग बलूच कौन है!
डॉ महारंग बलूच एक अंतराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त मानवाधिकार कार्यकर्ता और बलूच यकजेहती समिति की राष्ट्रीय संयोजक है।
इनका जन्म 1993 में एक बलूच परिवार में हुआ था, वह पेशे से एक MBBS डॉ है, इनके पिता अब्दुल गफ्फार लेंगेव एक मानवाधिकार कार्यकर्ता थे। उनकी जुलाई 2011में अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। उसका आरोप पाकिस्तानी सेना और ख़ुफ़िया एजेंसी iSI पर है, इनके भाई को भी दिसंबर 2017 में पाकिस्तान सेना ने अगवा कर मार दिया था। तब से डॉ.बलूच भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पीड़ितों और अपने परिवार के मानवाधिकारों व अधिकारों के लिए पाकिस्तान सरकार से न्याय की मांग करती आई है।

बलूचिस्तान में ज़बरन गायब किए जाने वाले ,न्यायेतर हत्याओं और मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ़ अपनी आवाज़ को बुलंद करने वाली एक संघर्षशील महिला है।

डॉ.महारंग बलूच चर्चा में तब आई जब इन्होंने बलूच लॉन्ग मार्च निकाला जो 6मार्च 2023 को ईरानी सीमा से लगे केच जिले से शुरू होकर इस्लामाबाद तक 1600 किलोमीटर की दूरी तय की, वे इस सफ़र में कलात,डेरा गाज़ी खान, और डेरा इस्माईल खान जैसी जगह रुके थे। इस मार्च को स्थानिय बलूचिस्तान के बाशिंदों ने पूरा सहयोग दिया था।
जब मार्च इस्लामाबाद पहुंचा तो पाकिस्तानी सरकार ने राजधानी में प्रवेश पर रोक लगा दी और नेशनल प्रेस क्लब में जाने से भी रोक दिया था।
यह बलूच लॉन्ग मार्च दुनियाभर के मीडिया में इसे जगह देने पर मजबूर होना पड़ा,क्योंकि इतने बड़े मार्च और जनता के आवाज़ को पाकिस्तान दबा नहीं सका है, सेना व सरकार की आलोचना व किरकिरी हुई थी।

बलूचिस्तान के हालात !
वर्तमान में पाकिस्तान के कब्जा वाले बलूचिस्तान में काफ़ी गुस्सा है, वह बलूचिस्तान में सेना द्वारा किए जा रहे दमनकारी नीतियों के कारण पाकिस्तानी सेना की सच्चाई दुनियाभर में सामने आ गई है। अमरीकी रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी सेना और सरकारी तंत्र का बलूच आबादी के साथ जो भेदभाव और जबरन गायब होने वाली न्यायेतर हत्याएं हो रही है।बलूचिस्तान में जिस प्रकार से एक बलूच आबादी का नरसंहार किया जा रहा है। उसे लेकर विश्व के सभी देशों को चिंतित होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र, अंतराष्ट्रीय समूहों और सभी देशों को अपनी आंखे बलूचिस्तान के ओर ले जाने की जरूरत है।
लेखन -जितेन्द्र कुमार सैन

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