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उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के मामलों में UP STF, ATS और ED की संयुक्त कार्रवाई से हड़कंप

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उत्तर प्रदेश में इन दिनों देश की सबसे बड़ी और संगठित आपराधिक साजिश का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे भारत को चौंका दिया है। यूपी एसटीएफ, एटीएस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की संयुक्त छापेमारी और जांच कार्रवाई ने न सिर्फ राज्य, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। इस ऑपरेशन की खासियत इसकी अभूतपूर्व स्केल, तेज़ी और गहराई है, जिसमें कई जिलों में एक साथ छापे, गिरफ्तारियां और करोड़ों की अवैध संपत्ति जब्त की गई है।

जांच में सामने आया है कि यह पूरा मामला एक संगठित सिंडिकेट और कार्टेल से जुड़ा है, जो धर्मांतरण, फर्जीवाड़ा, हवाला और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग जैसे गंभीर अपराधों में लिप्त था। इस नेटवर्क के तार न सिर्फ उत्तर प्रदेश और राजस्थान, बल्कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और खाड़ी देशों तक फैले हुए हैं। गिरोह का सरगना ‘छंगूर बाबा’ उर्फ जलालुद्दीन, बलरामपुर का रहने वाला है, जो पहले ताबीज और रत्न बेचने के धंधे से जुड़ा था, लेकिन बाद में इसने संगठित अपराध और धर्मांतरण का बड़ा रैकेट खड़ा कर लिया।


जांच एजेंसियों के अनुसार, इस गिरोह ने करीब 1500 हिंदू महिलाओं और युवतियों को निशाना बनाकर उनका जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन कराया। फंडिंग के लिए इस नेटवर्क ने नेपाल और खाड़ी देशों के रास्ते 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई, जो एनजीओ, हवाला और फर्जी कंपनियों के जरिए भारत में पहुंचाई गई। गिरोह के पास करोड़ों की संपत्ति, लग्जरी गाड़ियां, प्राइम लोकेशन पर जमीन और विदेशों में बैंक अकाउंट भी मिले हैं।

इस पूरे मामले का सबसे खतरनाक पहलू यह है कि यह सिंडिकेट न सिर्फ आर्थिक अपराध कर रहा था, बल्कि भारत के डेमोग्राफिक स्ट्रक्चर को भी प्रभावित करने की साजिश में जुटा था। एजेंसियों को कई ऐसे दस्तावेज और लिटरेचर मिले हैं, जिनमें भारत में ‘इस्लामिक कैलिफेट’ की योजना, कट्टरपंथी संगठनों से संपर्क और युवाओं को बरगलाने की रणनीति शामिल है।

ऑपरेशन के दौरान कई नाबालिग लड़कियों की भी पहचान हुई है, जिन्हें झांसा देकर या ब्लैकमेल कर धर्म परिवर्तन और शादी के लिए मजबूर किया गया। इस गिरोह का टारगेट खासतौर पर कमजोर, गरीब और प्रभावशाली वर्ग की महिलाएं थीं, ताकि समाज में असंतुलन और भय का माहौल बनाया जा सके।

जांच एजेंसियों ने साफ किया है कि यह मामला सिर्फ संगठित अपराध या धर्मांतरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, वोट बैंक पॉलिटिक्स, अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और आतंकवाद से जुड़े कई पहलू सामने आए हैं। सरकार ने संकेत दिए हैं कि आगे इसमें एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसियां भी शामिल हो सकती हैं।

यह ऑपरेशन न सिर्फ यूपी, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि संगठित अपराध और कट्टरपंथी नेटवर्क किस तरह समाज और सुरक्षा को खोखला करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे सिंडिकेट की जड़ों तक पहुंचने के लिए और भी सख्त कार्रवाई की तैयारी में हैं।

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