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अमरनाथ यात्रा मार्ग 1 जुलाई से ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ घोषित, सुरक्षा व्यवस्था में ऐतिहासिक सख्ती

अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक ऐतिहासिक और सख्त सुरक्षा कदम उठाया है। प्रशासन ने 1 जुलाई से यात्रा के समापन तक अमरनाथ यात्रा के दोनों प्रमुख मार्गों—पहलगाम और बालटाल—को ‘नो-फ्लाई ज़ोन’ घोषित कर दिया है। इसका अर्थ है कि 1 जुलाई से लेकर यात्रा समाप्ति तक इन मार्गों पर किसी भी प्रकार के ड्रोन, यूएवी, पैराग्लाइडर, गुब्बारे या अन्य उड़ने वाले उपकरणों के उड़ाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। यह फैसला हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र लिया गया है, जिससे यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की हवाई निगरानी, ड्रोन हमले या सुरक्षा में सेंध की संभावना को पूरी तरह समाप्त किया जा सके।



प्रशासन ने यह आदेश गृह मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिशों के बाद जारी किया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि इन मार्गों पर केवल आपातकालीन सेवाओं, मेडिकल इवैक्यूएशन, आपदा प्रबंधन और सुरक्षा बलों की निगरानी जैसी आवश्यक गतिविधियों को ही अनुमति दी जाएगी, जिनके लिए अलग से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू होगा। आम नागरिकों, श्रद्धालुओं या मीडिया को किसी भी परिस्थिति में ड्रोन या अन्य उड़ान उपकरणों के उपयोग की अनुमति नहीं होगी।

अमरनाथ यात्रा हर वर्ष देशभर से लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस वर्ष यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक प्रस्तावित है। प्रशासन ने यात्रा मार्गों पर सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती, सीसीटीवी निगरानी, रोड ओपनिंग ऑपरेशन और पहली बार जामर जैसी तकनीकों के इस्तेमाल की भी व्यवस्था की है। इसके अलावा, यात्रा मार्गों पर मेडिकल इमरजेंसी के लिए हेलीकॉप्टर सेवा, मोबाइल मेडिकल यूनिट और आपदा प्रबंधन दल भी तैनात किए गए हैं।

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इस फैसले का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को पूरी तरह सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना है, ताकि वे निर्भय होकर भगवान अमरनाथ के दर्शन कर सकें। प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों से अपील की है कि वे नो-फ्लाई ज़ोन के नियमों का कड़ाई से पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत प्रशासन या सुरक्षा बलों को दें। यह सख्ती न केवल यात्रा की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी, बल्कि जम्मू-कश्मीर में अमन-चैन और धार्मिक सौहार्द को भी मजबूत करेगी।

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