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भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार की पहल, पीएम मोदी

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नई दिल्ली/ढाका: भारत और बांग्लादेश के बीच हालिया तनाव को कम करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक पत्र लिखा है। यह पत्र 26 मार्च को बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर भेजा गया, जिसमें मोदी ने आपसी संवेदनशीलता और सहयोग के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।

यह कूटनीतिक पहल ऐसे समय आई है जब अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हिंसा बढ़ गई है। भारत सरकार ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और ढाका से अल्पसंख्यकों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार:
5 अगस्त 2024 से 16 फरवरी 2025 के बीच बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 2,374 हिंसा की घटनाएं दर्ज की गईं।

इनमें से 1,254 घटनाओं की पुष्टि पुलिस ने की, जबकि ढाका सरकार ने 98% घटनाओं को ‘राजनीतिक’ करार दिया।

मोदी के पत्र के प्रमुख बिंदु

1. ऐतिहासिक संबंधों की याद दिलाई: मोदी ने पत्र में भारत-बांग्लादेश की साझी विरासत और 1971 के मुक्ति संग्राम में दिए गए बलिदानों को याद किया, जो दोनों देशों की मजबूत साझेदारी की नींव हैं।

2. मुक्ति संग्राम की भावना को मार्गदर्शक बताया: उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम की भावना ही द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने में मार्गदर्शक होगी।

3. शांति, स्थिरता और समृद्धि पर जोर: मोदी ने दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम करना आवश्यक है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्य सलाहकार यूनुस के बीच बैठक की मांग की है। यह बैठक अप्रैल की शुरुआत में बैंकॉक में होने वाले BIMSTEC (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) सम्मेलन के दौरान हो सकती है, हालांकि इसे अभी तक आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई है।

भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक अस्थिरता और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के कारण बढ़ते तनाव को देखते हुए, मोदी की यह कूटनीतिक पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

यदि बैंकॉक में दोनों नेताओं की बैठक होती है, तो यह द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा देने का अवसर हो सकता है। भारत, बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की अपेक्षा रखता है।

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