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प्रधानमंत्री मोदी का दलाई लामा को पहला सार्वजनिक संदेश: भारत-चीन तनाव में भू-राजनीतिक बदलाव का संकेत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर पहली बार सार्वजनिक रूप से शुभकामनाएं दीं, जिसे भारत-चीन संबंधों और क्षेत्रीय भू-राजनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। मोदी ने दलाई लामा को “प्यार, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन का प्रतीक” बताते हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। यह संदेश ऐसे समय आया है जब भारत-चीन संबंधों में तनाव बना हुआ है और तिब्बत का मुद्दा फिर से वैश्विक मंच पर चर्चा में है।



मोदी सरकार ने 2014 के बाद लंबे समय तक दलाई लामा से सार्वजनिक दूरी बनाए रखी थी, जिससे चीन को नाराज़ न किया जाए। 2021 से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कभी भी दलाई लामा को सार्वजनिक रूप से बधाई नहीं दी थी। लेकिन 2021 में पहली बार मोदी ने फोन पर दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उसके बाद यह परंपरा हर साल जारी रही। 2025 में 90वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री का यह सार्वजनिक संदेश न केवल तिब्बती समुदाय के लिए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सशक्त संकेत है कि भारत अब तिब्बत और दलाई लामा के मुद्दे पर अधिक मुखर और स्वतंत्र नीति अपना रहा है।

इस कदम के कई भू-राजनीतिक प्रभाव हैं। सबसे पहले, यह चीन को स्पष्ट संदेश है कि भारत तिब्बत के मुद्दे को “कार्ड” की तरह इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा, खासकर तब जब सीमा पर तनाव और चीन की आक्रामकता बढ़ रही है। दूसरा, भारत ने संकेत दिया है कि दलाई लामा के पुनर्जन्म के सवाल पर वह चीन के दबाव को स्वीकार नहीं करेगा और केवल दलाई लामा को ही इस पर निर्णय लेने का अधिकार मानता है। तीसरा, यह अमेरिका और पश्चिमी देशों को भी संकेत है कि भारत तिब्बती पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका बढ़ा सकता है, ठीक उसी तरह जैसे अमेरिकी कांग्रेस ने 2020 में ‘Tibetan Policy and Support Act’ पास किया था।

दलाई लामा को शुभकामनाएं देना भारत की “सॉफ्ट पावर” कूटनीति का भी हिस्सा है, जिससे भारत न केवल तिब्बती निर्वासित समुदाय बल्कि बौद्ध देशों और लोकतांत्रिक मूल्यों के समर्थकों के बीच अपनी छवि मजबूत करता है। यह कदम भारत के लिए रणनीतिक संतुलन का भी प्रतीक है, जिसमें वह चीन के साथ प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ वैश्विक मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों पर भी अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहा है।

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